Sunday, 12 April 2015

भारतीय देशी गौ वंश संवर्धन एवं संरक्षण में इंटरनेट उपलब्ध साहित्य का महत्व ( Research

Note: मध्यप्रदेश में गौ-संरक्षण में साहित्य की भूमिकाः प. गंगा प्रसाद अग्निहोत्री में विशेष संदर्भ में
स्थान श्री जानकीरमण कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय जबलपुर (मघ्यप्रदेश) में 12-Apr-2015 प्रस्तुत 
मनीष तिवारी (1) , ऋषभ परोची (2)
(1) कम्प्यूटर विज्ञान एवं अनुप्रयोग विभाग, सेंट अलायसियस महाविद्यालय (स्वा0)
tiwarikmanish@gmail.com
(2) कम्प्यूटर विज्ञान एवं अनुप्रयोग विभाग, सेंट अलायसियस महाविद्यालय (स्वा0)
1. परिचय
किसी भी जाग्रति अभियान का मूल मंत्र लोगो से जुडना एवं उन्हे विषय से अवगत कराना होता है। वर्तमान परिपेक्ष में भी भारतीय देशी गौ वंश संवर्धन एवं संरक्षण का मूल आधार भी यही है। भारतीय देशी गौ वंश संवर्धन एवं संरक्षण से जुडे लोगो का प्रयत्न होता है कि वह अधिक से अधिक लोगो से जुडे एवं गौ के वैज्ञानिक, समाजिक, आर्थिक पक्षो से आम जनों को अवगत कराये। देशी गौ वंश  से जुडे  विभिन्न पहलुओं को जानने के लिये गाय से जुडे साहित्य की आवश्यकता होती है। जब इलेक्टानिक उपलब्ध नही थे तब देशी गौ वंश से संबंधित साहित्य उपलब्ध तो था परंतु यह बहुत ही सीमित लोगो की पहुंच में था। जिस कारण यह महत्वपूर्ण एवं अमूल्य जानकारी केवल मौखिक रूप से ही एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक जाती थी जिस कारण उसमें त्रुटियां आना भी स्वाभाविक है समाचार पत्रों में भारतीय देशी गौ वंश संवंर्धन एवं संरक्षण के प्रति एक अरूचि सी दिखाई देती है एवं  समाचार पत्रों में यह औपचारिकता के कारण ही यदा कदा देशी गौ की चर्चा होती है। इसी प्रकार इलेक्टानिक मीडिया भी गौ संवर्धन एवं संरक्षण के प्रति उदासीन एवं विरोधी हीे दिखाई पडती है। समाचार चैनल भारतीय देशी गौ वंश गौ संवंर्धन एवं संरक्षण को किसी एक विशेष समुदाय से जोडकर दिखाते है जो कि अत्यंत दुखद है क्योंकि भी भारतीय देशी गायों से किसी को भी किसी प्रकार की कोई भी हानि नही होती है। 
भारतीय देशी गौ वंश गौसंवर्धन एवं संरक्षण को पाठशालाओं में कोई स्थान नही दिया गया है। पाठशालाओ में तो गाया को 10 अंको के निबंध तक ही सीमित कर दिया गया है वर्तमान शिक्षकों से भारतीय देशी गौ वंश  की जानकारी छात्रों तक पहुंचाने की कल्पना करना व्यर्थ ही है क्योंकि उनमें से अधिकतर नगरीय परिवेश के होते है या फिर वह नगरीय परिवेश में जाना चाहते है। अतः वे दूध/दही/घृत उपयोग तो करना चाहतें है परंतु गौवर एवं गौमूत्र से दूर भागते है।क्योकि उन्हे इन विशिष्ट एवं सरलता से उपलब्ध औषधियों के बारे कोई ज्ञान नहीे होता है। वह इसे मात्र देव पूजा के लिये ही उपयोग करना चाहते है। परिहास की सीमा तब हो जाती है जब लोगो को जर्सी गाय / भैस के दूध की तुलना आम जनों द्वारा की जाती है जबकि जर्सी गाय के दूध तुलना देशी गाय के दूध से करने का अर्थ है कि आप विष एवं अमृत की तुलना कर रहें है। इस प्रकार आमजनो के मध्य में गाय की सही वैज्ञानिक एवं समाजिक जानकारी प्राप्त होने के सभी साधन नष्ट हो चुके थे। देशी गाय से जुडा साहित्य होने पर भी जाग्रति का कार्य में असफलता हो गया था जिसके नकारात्मक परिणाम हमें भुगतने पड रहें है। 
इस कठिन परिस्थिति से उबरने में इ्रटरनेट में उपलब्ध विभिन्न माध्यमों ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्तमान में इंटरनेट गौजाग्रति अभियान  की तीव्रता एवं गति प्रदान की है वह अभूतपूर्व है इंटरनेट के माध्यम से गौ संबंधित जानकारी सरलता एवं सुगमता से उपलब्ध हो पा रही है  
2 गौवंश से संबधित कुछ आंकडे 
भारत में गौवंश की वर्तमान स्थिति  बडी ही दयनीय है इस परिपेक्ष में म्ै आपके समक्ष कुछ आंकडे प्रस्तुत करना चाहता हूॅ इन आंकडो से अनुमान लगाया जा  सकता है कि भारतीय देशी गौ वंश  संवर्धन एवं संरक्षण की अत्याधिक आवश्यकता  है। सन् 1920 में भारत में 4 करोड 33 लाख 60 हजार गौंश था 1940 में यह 13 करोड 76 लाख  50 हजार 870 गौवंश में था इनमें लगभग 5 करोड संाड/बैल, 6 करोड गायें एवं ढाई करोड बछडे एवं बछियां थी। 2003 की जनगणना के अनुसार भारत में 18 करोड, 51 लाख, 80 हजार  532 गायेथी। इसमें से दो करोड विदेशी गायो की संख्या है। जिनका दूध जहरीला होता है। इसे पीने से हदय रोग, केंसर एवं महुमेह जैसे घातक एवं जानलेवा रोग होते है। सन् 1992 से 2003 के भारतीय देशी गौवंश की संख्या में लगभग 2 करोड 85 लाख की कमी आई जो कुल देशी गौवंश आबादी का 18 प्रतिशत था  
भारत में सन् 1951 में प्रति एक हजार व्यक्ति 340 गायें होती थी। 1951 में भारत में प्रति हजार व्यक्ति यह संख्या 278 रह गयी।  सन् 2000 आते आते  प्रति एक हजार व्यक्ति 110 गाये रह गयी मेरे अंतिम आंकडा 2005 है जो बडा ही दुखी करने वाला है। 2005 में यह संख्या 110 से घटकर मात्र 90 रह गयी है। 
3. मुगलसाम्रज्य एवं गौहत्या
बाबर ने भारत पर आक्रमण प्राप्त कर विजय प्राप्त कर शासन किया।  परंतु एक मुस्लिम शासक होने पर भी उसने गौहत्या पर कडे कानून बनाये एवं गौहत्या पर प्रतिबंध लगाया इसके बाद आने वाले सभी मुगल शासको के शासन काल में भी गौ हत्या पर पाबंदी रही है मैसूर के शासक हैदरअली एवं टीपूसुल्तान के शासन काल में भी गौ हत्या प्रतिबंधित थी इसके शासन काल में गौहत्या करने वाले का सर कलम कर दिया जाता है।  ख्1,  
भारत  में गौहत्या प्रारंभ करने का पूरा श्रेय अंग्रेजों का जाता है राबर्ट क्लाईव में सन् 1760 में केवल गौहत्या प्रारंभ कराई बल्कि उसने भारत में शराबघर एवं वैश्यालय भी प्रारंभ कराये।ं मुस्लिमों कुरैशी समाज के लोगों को प्रताडित कर उन्हे गौहत्या के कार्य में जबरन लगाया।ख्2,  
4. इंटरनेट द्वारा पंचगव्य औषधियो/ गौशालाओ द्वारा निर्मित उत्पादों / शोधकार्या का प्रचार
गाय से पांच प्रकार के उत्पाद उत्पन्न होते दूध, दरही, घी, गौवर, गौमूत्र इन्हे ही पंचगव्य की संज्ञा दी गई है।  इनसे संबंधित बहुत सारा साहित्य/ चलचित्र आपको इंटरनेट पर उपलब्ध है। 
4.1 पंचगव्य औषधियोः इंटरनेट पर यदि आप पंचगव्य औषधियों के बारें में ज्ञान प्राप्त करना चाहते है तो आपको शब्द चंदबीहंअलं टंकित करना होगा इससे पर आपको बहुत सारी जानकारी सहसा ही उपलब्ध हो जायेगी
4.2 गौशाला में निर्मित उत्पादः  भारत में लगभग 2500 गौशालाओं पंचगव्य उत्पादों का निर्माण करती है यह औषधियों के साथ प्रतिदिन उपयोग में आने वाली लगभग सभी वस्तुओ का निर्माण करती है इनमंे से बहुत गौशालाओं ने उत्पादों की जानकारी इंटरनेट पर डाली है परंतु अभी भी सभी गौशालाएं नेट पर उपलब्ध नही है। इसका काई भी आंकडा मेरे पास उपलब्ध नही की कितनी गौशालाओ की उपलब्धता नेट पर है
4.3 गायो पर शोधकार्यः यह बडा ही महत्व का विषय है कि गायो पर क्या शोध कार्य चल रहें। इसमें गौविज्ञान अनुसंधान केंद्र देवलापार, कानपुर गौशाला, भीलवाडा गौशाला राजस्थान, डा जैन इंदौर, अकोला गौशाला आदि प्रमुख नाम है। Kamdhenu Urine (Fresh) Therapy in Cancer Patients: A Holistic Approach, Milk – A Preventive Promotive and Curative Approach, Evaluation of an indigenous technology product Kamdhenu against pathogens of soil borne diseases, Research Work Done on Godugdha, Research Work Done on Goghrita, Research Work Done on Gomaya Preparations, Research Work Done on Gomutra Preparations, Research Work Done on Gotakra Preparations, etc.[5]
4.4 विस प्रभावः सन् 1995 में मास्कों के पास सूजडल नामक नगर में डा मदन मोहन बजाज, मोहम्मद सैयद इब्राहिम एवं डां विजय राज सिंह ने बिस प्रभाव से अवगत कराया है इस शोध के अनुसार प्राणियों की हत्या करने से 0पी0 तरंगे (आइंसटीन पेन तरंगे) उत्पन्न होती है जो भूकम्प के लिये जिम्मेदार होती है। 
इस प्रकार की लगभग 65 शोधों की सूची आपकों भारतीय शासकीय वेवसाईट पर उपलब्ध है जिस वेबपेज पर आप देख सकते है   
4.5 इंटरनेट पर साहित्यः इंटरनेट पर वर्तमान लेखको पर लिखित साहित्य एवं पुराना दुर्लभ साहित्य दोनो ही उपलब्ध है। इंटरनेटर पर स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा लिखित अत्यंत दुर्लभ पुस्तक गौकरूणानिधि उपलब्ध है तो वर्तमान गौ विषय के विद्धवानो एवं शोधकर्ताओं का साहित्य भी उपलब्ध है यूटूब पर उत्तम माहेश्वरी, डां अशोक जैन, राजीव दीक्षित, डिस्वरी चैनल के विडियों, गौशालो पर उपलोड वीडिया बडी मात्रा में एवं सरलता से उपलब्ध है। एवं इन्हे निशुल्क डाउनलोड भी किया जा सकता है। 
4.6 गौ से संबंधित सूचनाओं का प्रचार गौ से संबंधित सूचनाओं का प्रचार एवं प्रसार के लियं इंटरनेट एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है। समाचार पत्रो एवं समाचार चैनलों के माध्यम सं संपादक या पत्रकार स्वयं का दृष्टिकोण लोगो के समक्ष रखता है परन्तु सुनने या देखने वाले इस पर प्रतिक्रिया नही दे सकता है। सोशल मीडिया ने इस बंधन को भी तोड दिया है अब फेसबुक/टवीटर/ब्लागर आदि ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसमें आप जन को गाय के प्रति संवेदना एवं समर्थन व्यक्त करने के लिये एक मंच प्रदान किया है। इसके द्वारा बहुत से व्यक्तियों द्वारा आधारहीन एवं तथ्यहीन बातों करने करने एवं खण्डन एवं विरोध भी किया जा सकता है
5 फेसबुक/यूटूब/गूगल पर उपलब्ध कुछ आंकडे
हमने गाय से संबंधित साहित्य की इंटरनेट पर उपलब्धा को समझने के लिये एक छोटा सा प्रयोग किया। हमने अलग अलग कीवर्ह को  फेसबुक, यूटूब एवं गूगल में प्रतिपादित किया तब हमंे निम्न प्रकार के आंकडे उपलब्ध हुऐ।  



हम सारणी में दिये गये आंकडों में स्पष्ट  रूप से देख सकते है कि भारतीय देशी गौ से संबंधित साहित्य बहुत मात्रा में उपलब्ध है। 
6 उपसंहार
इंटरनेट ने भारतीय देशी गौ वंश में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके माध्यम से गौशाला अल्प धन व्यय करके वस्तु ओं को प्रचार रही है वीडियों  एवं  आडियों  माघ्यमों से असाक्षर लोगो तक भी जानकारी बडी सुलभ माध्यम से पहुचाई जा सकती है। बहुत सारी जानकारी निशुल्क बुक के माध्यम से उपलब्ध है। ब्लाग के माध्यम से समान्य अपना इंटरनेट पर विश्व के सामने बडी ही सरलता एवं निशुल्क रख सकता है। 
7. संदर्भ सूची
1. सुभाष पारलेकर, देशी गौ - एक कल्पवृक्ष खेती कुषि संस्कृति, संस्करण - द्वितीय,जीरो बजट प्राकृतिक शोध तंत्र, अमरावती, 2005
5.    http://govigyan.com/Pages/research.aspx
6.    http://ayushportal.nic.in/pgavya.htm  


Friday, 13 March 2015

Quates On Deshi Gau

1. Jesus Christ
 killing a bull is equivalent to killing a cow.

2. Hazarat Mahmed
Cow milk is tonic, its ghee is ambrosia and its meat is disease.

3. Mahatma Gandhi
 Cow is the source of progress and properity. In many ways it is superior to one's mother.

4.  Dr. Rajendra Prasad
Cow protection is the eternal dharama of Bharat.

5.  Dayanand Saraswati
 One cow in its life time can feed 4410 people once a day while its meat is sufficient only for 80 people.

6.   Devaraha Baba
Till cow are slaughtered, no religious or social function can bring its fruit

7. Madan Mohan Malviya
The first section of Indian Constitution should be on prohibition for Cow slaughter.

8. Acharya Vinoba Bhave 
The pressure of Muslims for cow slaughter is the limit of foolishness. I have studied both Koran and Bible.  According to both of them, to kill a cow even indirectly is a great sin.

9. Lala Lajpat Rai
Since the cruel killing of cows and other animal have commenced, I have anxiety for the future generation.

10. Lokmanya Tilak 
Kill me but spare the cow. 

11. Jai Prakash Narayan
According to me under the present circumstances, there is nothing more scientific and intelligent act than banning cow slaughter. 

12. Shri Haridas Shastri 
Cow is the God even of God. 

13. Shri Prabhudata Brahmachari
We want to live in the world while being called as Hindus then we have to protect cows with all our might.

14. 
Lord Lonlithgo
The offensive act of British Rule towards cows will go down in the history as an abominable deed. 

15. 
Giani Zail Singh - Former President
Cow is the foundation of our economy.

16. 
Hakim Ajamal Khan
Neither Koran nor the Arabian Customs permit killing cow.

17.  
Lord Buddha
A Cow is benevolent like mother-father-brother are ultimate friend supreme wellwisher asd also orginal source of happiness and prosperity 


--------------- Hindi----------

1. जीसस क्राईस्ट
बैल मारना गाय मारने समान ही दुष्कृत्य है ।

2. लोकमान्य तिलक
गाय को छोड दो मुझे मार दो ।

3. श्री हरिदास शास़्त्री
गाय भगवानो की भी भगवान है |

4. ज्ञानी जैल सिहं 
गाय भारतीय अर्थ व्यवस्था का आधार है

5. हकीम अजमल खान
अरब संस्कृति एवं कुरान में गाय को मारने किसी अभ्यास की अनुमति नहीं है ।

6. डां राजेंद्र प्रसाद
गाय की रक्षा करना भारत की शाश्वत धर्म है ।

7. लाला लाजपत राय
भारत में जब से गायों की कं्रूर हत्या प्रारंभा हुई है मुझे आने वाली पीडी की चिंता होने लगी है ।

8. देवरहा  बाबा
जब तक गाय की हत्या होती रहेगी किसी धार्मिक एवं सामाजिक कार्य की शुभ फल प्राप्त नही होगा।

9. हजरत मोहम्मद
गाय का दूध बलबर्धक है, घी अमृत है एवं उसका मास बीमारी है ।